दान

“देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।”

बिना उत्साह के, उपेक्षारूप से, या लाभ की आशा के बिना किए गए दान को उत्कृष्ट माना जाता है जो कार्य होता है, सही स्थान और समय पर, और योग्य व्यक्ति को दिया जाता है। यह सात्त्विक गुण का हिस्सा है (भगवद गीता, अध्याय 17, श्लोक 20).

बैंक खाता विवरण :

खाता नाम : Jay maa Sheetala charitable trust

खाता नंबर : 16180100025325

बैंक का नाम : Bank of Baroda

आईएफएस सी कोड : BARB0MEZARO

ब्रांच का नाम : Meza Road , Allahabad

हिन्दू धर्म में दान को एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है, जो व्यक्ति को समाज में सहयोग और सामाजिक समृद्धि की दिशा में कार्य करने का अवसर प्रदान करता है। धर्मशास्त्र में दान को सर्वोत्तम पुण्य कर्म माना गया है, जिसका अर्थ है कि यह सभी कर्मों का सर्वश्रेष्ठ है और सबसे श्रेष्ठ फल देता है। दान का महत्व यहां इस रूप में है कि यह व्यक्ति को स्वार्थ से मुक्त करके समाज में सामंजस्य और सौहार्दपूर्ण बनाता है और उसे आत्मिक शुद्धि का अनुभव कराता है। धर्म ग्रंथों में इसे 'कर्मयोग' का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है, जो व्यक्ति को कर्मों को निष्काम बनाने में सहायक होता है और उसे ईश्वर के प्रति समर्पित बनाता है। दान के माध्यम से समाज में समृद्धि होती है और गरीब, असहाय लोगों को सहारा मिलता है, जिससे समृद्धि का योगदान दिया जाता है। इसके अलावा, धार्मिक उन्नति और आत्मिक विकास का माध्यम बनता है जो व्यक्ति को आत्म-समर्पण की भावना में बढ़ने में मदद करता है। इस प्रकार, हिन्दू धर्म में दान का अद्वितीय महत्व और इससे होने वाले लाभों के संदेश व्यक्ति को योग्यानुपात में सार्थक और सत्यापक्ष जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।