Maa Sheetla Krupa Mahotsav

मां शीतला ध्यान मंत्र

ध्यायामि शीतलां देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम् ।
मार्जनी-कलशोपेतां शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम् ॥

''शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः।।

The Maa Sheetla Charitable Trust was established by Shri Dudhnath Giridhari Shukla on January 28, 2007. This trust originated during the construction of a prominent temple dedicated to Maa Sheetla. Mrs. Sonakali Shukla, the wife of Shri Shukla, brings divine water every year from the Shaktipeeth Shri Kade Dham 'Sheetlan' in Kaushambi during the bright half of the month of Magha (usually estimated around January or February) to commemorate Maa Sheetla's birth anniversary. This festival spans five days and was inaugurated with grandeur by igniting the divine flame and establishing it as a temple through proper rituals. Later, this temple grew into a larger sanctuary and transformed into the 'Maa Sheetla Charitable Trust'.

First Day (Ashtami)

On the Magha Shukla Paksha Ashtami, the auspicious inauguration of this festival takes place. It marks the first day of the festival when devotees undertake a holy procession known as "Jalayatra." In this, devotees walk barefoot carrying water from the Ganges without placing it on the ground until they reach the temple of Maa Sheetla. This showcases the immense devotion of the worshippers. Alongside, scholars, pandits, and religious leaders organize rituals to consecrate the occasion, including the worship of the Panchang , followed by the meticulous arrangement of the altar through Vedic chants and rituals.

Second Day ( Navami)

On the second day of the festival, the trust organizes the recitation of the "Shri Ram Charitmanas." Devotees participate in this recital with great reverence, chanting the verses of the Ramayana with immense devotion.

Third Day (Dashami)

On this day, the recitation of the Manas concludes, followed by a formal havan. Maa Sheetla is adorned beautifully, and a grand coronation ceremony takes place. Elaborate rituals, including aarti, and offering the Chhappan Bhog at the revered feet of the goddess, are conducted.

Fourth Day ( Ekadashi )

On Ekadashi, a monumental event called "Lakharav" is organized, where the consecration of a Parthiv Shiv Linga (a Shiv Linga made of mud) is conducted with the worship of the linga. Additionally, a grand ritual known as "Maharudrabhishek" takes place. In this program, all devotees actively participate in the creation of the Parthiveshwar Mahadev by contributing their labor and effort.

Fifth Day/Last Day ( Dwadashi )

The Maa Sheetla Kripa Mahotsav concludes on this day with a grand finale. A Purnahuti Havan is performed, followed by organizing a massive feast. During this feast, at least eight to ten thousand devotees come to receive the divine blessing of Maa Sheetla. The distribution of this sacred offering begins around 2-3 PM and continues until the arrival of the last devotee.

This festival witnesses the presence of renowned singers and artists like Manoj Tiwari, Anup Jalota, along with the arrival of revered saints, spiritual leaders, and storytellers, adding to the grandeur of the event.

माँ शीतला कृपा महोत्सव

मां शीतला ध्यान मंत्र

ध्यायामि शीतलां देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम् ।
मार्जनी-कलशोपेतां शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम् ॥

''शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः।।

माँ शीतला चैरिटेबल ट्रस्ट का संचालन श्री दूधनाथ गिरिधारी शुक्ला जी द्वारा २०१४ में किया गया था। यह ट्रस्ट उस समय शुरू हुआ था जब एक प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण किया गया था, जो माँ शीतला को समर्पित था। श्री शुक्ला जी की धर्मपत्नी श्रीमती... जी ने शक्तिपीठ श्री कड़े धाम 'शीतलन' कौशांबी से दिव्य ज्यहर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष में (अनुमानित तौर पे जनवरी या फ़रवरी माह में ) माता शीतला के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाता है। यह महोत्सव पांच दिवसीय होता है।ोति प्रज्वलित करके बड़े ही धूमधाम से लाया था और विधिवत उसकी पूजा-आराधना करके एक मंदिर के रूप में स्थापित किया था। बाद में, यह मंदिर एक बड़े मंदिर बन गया और फिर 'माँ शीतला चैरिटेबल ट्रस्ट' के रूप में परिवर्तित हो गया।

प्रथम दिवस (अष्टमी)

माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी के दिन इस महोत्सव का शुभारंभ होता है। यह महोत्सव का प्रथम दिवस होता है इस दिन भक्तों द्वारा जलयात्रा निकाली जाती है जिसमें भक्त गंगा जी से गंगा जल ले कर उसे ज़मीन पर रखे बिना पैदल यात्रा करके मां शीतला के मंदिर में जल चढ़ाते हैं। जिसमें भक्तों की अपार श्रद्धा का दर्शन होता है। साथ ही साथ विद्वान पंडितों, आचार्यों द्वारा पंचांग पूजन का कार्यक्रम आयोजित होता है तत्पश्चात विधिवत पूजा पाठ द्वारा वेदी की रचना की जाती है।

द्वितीय दिवस ( नवमी)

महोत्सव के दूसरे दिन ट्रस्ट द्वारा श्री राम चरितमानस पाठ का पारायण किया जाता है। जिसमें भक्तों द्वारा बड़ी श्रद्धा से रामचरित मानस का साक्षर पाठ किया जाता है।

तृतीय दिवस (दशमी)

इस दिन मानस पारायण का विराम होता है। इसके बाद औपचारिक हवन का आयोजन होता है। मां शीतला का भव्य श्रृंगार किया जाता है तथा उनका महाभिषेक होता है। भव्य आरती एवं माता जी के श्री चरणों में छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित किया जाता है।

चतुर्थ दिवस ( एकादशी )

एकादशी के दिन लखराव कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें सवा लाख ( १२५०००) पार्थिव शिव लिंग का निर्माण कर उसका पूजन किया जाता है, और महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में सभी भक्त बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और पार्थिवेश्वर महादेव के निर्माण में श्रम दान करते हैं।

पंचम दिवस/ अंतिम दिवस ( द्वादशी )

माँ शीतला कृपा महोत्सव का यह अंतिम दिन होता है। इस दिन पूर्णाहुति हवन तथा विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है । इस भंडारे में प्रतिवर्ष कम से कम आठ से दस हज़ार श्रद्धालु माता जी का परम प्रसाद ग्रहण करने आते हैं। प्रसाद वितरण का कार्यक्रम दोपहर २ - ३ बजे से शुरू हो जाता है और भक्तों के अंतिम आगमन तक अनवरत चलता रहता है।

इस महोत्सव में देश के कई बड़े व जाने माने गायक कलाकार जैसे मनोज तिवारी, अनूप जलोटा अपनी प्रस्तुति देने आते हैं। साथ ही साथ बड़े-बड़े साधु, महात्मा, कथावाचकों का भी आगमन होता है।